कैंसर के इलाज की 390 दवाएं करीब 90 फीसदी तक सस्‍ती हुईं

कैंसर के इलाज की 390 दवाएं करीब 90 फीसदी तक सस्‍ती हुईं

सेहतराग टीम

सरकार ने कैंसर के इलाज में काम आने वाले 390 गैर-अनुसूचित दवाओं के अधिकतम खुदरा मूल्य में 87 प्रतिशत तक कमी कर दी है। इससे इन दवाओं का इस्तेमाल करने वाले मरीजों को सालाना 800 करोड़ रुपये की बचत होगी। सरकार ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इसका अर्थ ये है कि अगर कोई दवा अबतक 100 रुपये की थी तो अब वो 13 रुपये तक में उपलब्‍ध होगी। च‍िकित्‍सा जगत में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लगातार उठाए जा रहे कल्‍याणकारी कदमों की कड़ी में एक और कदम है।

सेहतराग ने 27 फरवरी को खबर दी थी कि राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) 42 गैर- अनुसूचित कैंसर दवाओं को दवा मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के तहत लाया है। इन दवाओं के व्यापार मार्जिन को 30 प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया है। इससे 390 कैंसर-रोधी दवाओं की कीमत 87 प्रतिशत तक कम हो गई है।

एनपीपीए ने विनिर्माताओं और अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वह इन दवाओं पर नए मूल्य को लागू करें। नए मूल्य आठ मार्च से प्रभावी होंगे। 

आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनपीपीए ने कैंसर की गैर- अनुसूचित 390 दवाओं की सूची जारी की है। इनकी कीमत 87 प्रतिशत तक कम की गई है। यह व्यवस्था आठ मार्च 2019 से प्रभावी है।

 

प्लास्टिक युक्त सैनिटरी पैड से गर्भाशय कैंसर का खतरा ज्‍यादा

उत्तराखंड के चंपावत जिले की एक सामाजिक कार्यकर्ता ने राज्य चालित किशोरी स्वच्छता कार्यक्रम के तहत दिए जाने वाले प्लास्टिक युक्त सैनिटरी पैड पर प्रतिबंध लगाने की शुक्रवार को मांग की। उनका दावा है कि ये पैड महिलाओं में त्वचा संबंधी रोग के अलावा गर्भाशय के कैंसर का भी कारण बन रहे हैं। 

सामाजिक कार्य के लिए तिलु रौतेली पुरस्कार की विजेता रीता गहतोरी ने कहा कि ग्रामीण महिलाएं जो दूर-दराज के इलाकों से पानी या चारा लाने के लिए अक्सर बाहर ही रहती हैं उनमें यह जोखिम सबसे ज्यादा होता है। 

उन्होंने कहा, ‘मुझे चिकित्सकों ने बताया है कि किशोरी स्वच्छता कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा गांवों में वितरित किए जा रहे ऐसे सैनिटरी पैड त्वचा रोग का कारण बन सकते हैं। लापरवाही की सूरत में उन्हें लगाए रखने से गर्भाशय का कैंसर होने का भी खतरा हो सकता है।’

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